Veer Savarkar biography in Hindi वीर सावरकर का जीवन परिचय

विनायक दामोदर सावरकर एक ऐसे क्रांतिकारी जिनसे ब्रिटिश सरकार भी डर गई और 2 जन्मों तक की उम्रकैद वीर सावरकर को दे दी। 

आज आप पढ़ने आए है वीर विनायक दामोदर सावरकर का जीवन परिचय, वीर सावरकर का जन्म कब हुआ, कहां हुआ, क्रांतिकारी जीवन और देश हित में की गई क्रांति के बारे में आप सम्पूर्ण जानकारी आज आप इस लेख से प्राप्त करेंगे ।

जन्म

वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के भागुर ग्राम में हुआ था, इनकी माता जी का नाम राधा बाई और पिता जी का नाम दामोदर पंत सावरकर था, इनके अलावा इनके माता पिता की 3 और संताने थी जिसमे इनके 2 भाई गणेश (बाबाराव) और नारायण दामोदर सावरकर तथा एक बहन जिनका नाम नैनाबाई था, 

छोटी उम्र में इनकी माता का देहांत हैजे की बीमारी से हो गया था और उसके 7 वर्ष बाद इनके पिता जी भी 1899 में प्लेग की बीमारी से स्वर्ग सिधार गए, जिसके बाद बड़े भाई बाबाराव ने इनका पालन पोषण किया और इनकी उच्च शिक्षा में सहयोग किया, बचपन में सावरकर ने अपने मित्र मंडली का एक संगठन बनाया जिसे उन्होंने मित्र मेला नाम दिया जिसमे वह राष्ट्रीयता के बारे में अपने मित्रों को बताते थे और प्रेरित करते थे, 1901 में इनका विवाह रामचंद्र त्रियम्बक चिपलुणकर की बेटी यमुनाबाई के साथ हुआ, विनायक सावरकर के ससुर जी ने उनकी आगे की शिक्षा का खर्च उठाया ।

सावरकर को वीर की उपाधि किसने दी ?

प्रखर राष्ट्रवादी महापुरुष को वीर की उपाधि दी गई थी लेकिन सावरकर को वीर की उपाधि किसने दी यह प्रश्न आप सभी के मन में कभी न कभी आया होगा, इसके बारे में चर्चा करते हुए हमे इतिहास में पीछे जाना होगा यह वर्ष था 1936 का जब कांग्रेस में एक बयान पर बहस होने लगी जिसकी वजह से सावरकर को कांग्रेस ने अपनी पार्टी से ब्लैकलिस्ट कर दिया और एक बार सावरकर जी पुणे में अपने भाषण कार्यक्रम के लिए गए हुए थे वहां उनका विरोध करने के लिए कुछ कांग्रेसी काले झंडे लेकर सामने आ गए लेकिन उसके बावजूद सावरकर को सुनने के लिए हजारों की भीड़ आई तभी प्रसिद्ध कवि, नाटक और फिल्मकार पीके अत्रे ने यह देखते हुए कांग्रेसियों को बोला की जो काला पानी से नहीं डरा वह काले झंडो से क्या डरेगा, यह कहते हुए अत्रे ने सावरकर को प्रथम बार स्वातंत्र्य वीर सावरकर की उपाधि दी , यहीं नहीं इसके बाद अत्रे। ने सावरकर जी का देशप्रेम देखते खुद को यह कहने से रोक ना सके की महाराष्ट्र में ध्यानेश्वर के बाद सावरकर से ज्यादा मेधावी कोई लेखक नहीं हुआ है।

Veer Savarkar biography in Hindi
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सावरकर ने देश के लिए क्या किया ?

सावरकर को बाकी नेताओं की तरह अपने नाम और रुतबे की भूख नहीं थी यही वजह है की आज उनके किए गए कामों को ढूंढना पड़ता है, आज तक किसी भी महापुरुष से उसके किए गए कामों का सबूत नहीं मांगा गया, सावरकर अंग्रेजो को सीधा भागने के लिए कुछ समय तक गांधी जी के साथ भी रहे लेकिन गांधी की अहिंसा नीति के चलते सिर्फ हम भारतीयों का शोषण ही होता जा रहा था अंग्रेजी हुकूमत भारतीय रीति रिवाजों और परंपराओं का अपमान करती है हमारे मन में बसे देशभक्ति को अंदर से खत्म करती जा रही थी भारतीयों को यह बताया जाता था की वह बहुत कमजोर है और बिना अंग्रेजो के वो जानवरों वाली जिंदगी ही जी पाएंगे, 

लेकिन सावरकर को यह बात समझ आ चुकी थी इसलिए उन्होंने हमारी देशभक्ति को फिर से जगाने के लिए एक ग्रंथ की रचना की जिसका नाम 1857 का स्वातंत्र्य समर था अंग्रेजो को इस ग्रंथ के बारे में पता चला तो उन्होंने इसे पूरी ब्रिटिश हुकूमत में बन करा दिया और सावरकर को 2 जन्मों का आजीवन कारावास दे दिया अंग्रेज अच्छी तरह समझ चुके थे की जितना खतरा गांधी और नेहरू जैसे नेताओं की बोली से नहीं है उससे कई गुना ज्यादा खतरा उनको सावरकर की कलम से है ।

वीर सावरकर की माफ़ी का सच

वीर सावरकर की माफ़ी का सच देश में आज हम लोगो से छुपाया जाता है सावरकर का माफीनामा बोलकर उनका देशप्रेम झूठा साबित किया जाता है, सावरकर ने माफी कब मांगी और क्यों इसे जानना भी बेहद जरूरी है,

सावरकर को 2 जन्मों का आजीवन कारावास देने के बाद उन्हें अंडमान की सेलुलर जेल में रखा गया जिस कोठरी में उन्हें रखा गया उसमें शायद ही कोई ठीक से खड़ा भी हो सकता था, खाने के लिए कई दिनों में एक बार और मल मूत्र त्याग करना हो तो उसी कोठरी में खड़े खड़े ही करने देते थे, इतने से भी उनका मन नहीं भरता इसलिए चक्की में बैलों की जगह सावरकर को लगा कर तेल निकलवाया जाता था 

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कई वर्षो तक जेल में रहने के बाद सावरकर को समझ में आया की अगर अंग्रेजो से माफी मांग ली जाए और एक बार जेल से बाहर निकल सकें तो वह बाहर रह कर अपना लक्ष्य पाने के लिए और मेहनत कर पाएंगे इसलिए उन्होंने 3 बार माफी के लिए आवेदन किया जिसमे तीसरी बार में उन्हें माफी इस शर्त के साथ दी गई की वह अब आजीवन कभी कोई लेख नहीं लिखेंगे और उन्हें हमेशा नजरबंद रखा जायेगा ।

वीर सावरकर की मृत्यु कैसे हुई ?

वीर सावरकर की मृत्यु के पीछे का कारण अभी तक कोई साफ नहीं बताया पाया है लेकिन इतिहासकार बताते हैं की सावरकर ने एक महीने से खाना पीना छोड़ दिया था जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हुई, वीर सावरकर का निधन 26 फरवरी 1966 को मुंबई में हुआ था ।

3 thoughts on “Veer Savarkar biography in Hindi वीर सावरकर का जीवन परिचय”

  1. Mera sapna tha vir savrkar ji ke bare me padna bachpan se hi meri man me yh ichha thi aaj is website par aa kar mujhe bahut achha laga
    Apka vishes abhar

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